| 1. | हीरामन ने धीरे-धीरे गुनगुनाकर गला साफ किया-हे अ-अ-अ-सावना-भादवा के-र-उमडल नदिया-में-मैं-यो-ओ-ओ, मैयो गे रैनि भयावनि-हो-ए-ए-ए ; तडक़ा-तडक़े धडक़े करेज-आ-आ मोरा कि हमहूँ जे बार-नान्ही रे-ए-ए...। '' ओ माँ! सावन-भादों की उमडी हुई नदी, भयावनी रात, बिजली कडक़ती है, मैं बारी-क्वारी नन्ही बच्ची, मेरा कलेजा धडक़ता है।
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